पढ़े ककहरा खिली अमावस
खोले स्याह किताब।
मुँह बोले माई के बिरना
दिखते नहीं जनाब।।
किसके कजरौटे से बिखरा
इत्ता सारा काजल,
करिया भौजी दिशा को जायें
थाम नंद का आंचल,
मुनियां परछांई को पूछे
देवे कौन जवाब़?
पुतरी ने औकात आंक ली
पसरी देखी कालिख,
डहर, मेड़, पगडंडी गुमसुम
सन्नाटा है मालिक,
कौन रात की बही टटोले
मुडिया लिखा हिसाब।
करें घिया की बाती,
चिहुंके पीपल वाला पांखी
जैसे गली बिसाती,
अंधियारा हो चुका सयाना
बुने सुनहरा ख्वाब!
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