गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

कूष्मांडा

जय जय जय कूष्मांडा माता।
जग जननी ब्रह्माण्ड विधाता॥

चक्र, गदा, कमण्डल वाली
धनुष बाण, कमल दल वाली
अमृत कलश जयमाला धारी
सिंह सवार कूष्मांड बलि प्यारी
आदि शक्ति माते जग सर्जक
रोग शक्ति मां मुक्ति प्रदाता।
ऋदि-सिद्धि आरोग्य प्रदानी
आयु, शक्ति, यश, भक्ति दानी
रविमण्डल में रूप विराजे
अंधियारे पे उजाला साजे
आधि व्याधि सब डर के भागे
जो भी शरण तुम्हारी आता !

सकल जगत में रूप तुम्हारा
तुम हो तेज पुंज की धारा
भक्त अचल मन आया द्वारे
कर दे पूरन काज हमारे
तेरी भक्ति की राह चले जो
जग में सब सुख वह पा जाता।

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