कलियुग काल रूप में आया।
दया करो महागौरी मां॥
शिव को पाना हुई समस्या
की पार्वती ने घोर तपस्या
गौर वर्ण हुआ जब काला
शिव ने गंगा जल फिर डाला
हुई चारू चन्द्र मय आभा
नाम महागौरी कहलाया।
कर त्रिशूल शिव शस्त्र उठाये
डिमिक डिमिक डिम डमरू बजायें
बैल सवार अभय कर दानी
निज भक्तों हित मां वरदानी
कुन्द पुष्प-सा वस्त्र भूषण
मां का रूप जगत को भाया।
अष्ट शक्ति मां चतुर्भुजा मां
शान्त मना क्या रूप सजा मां
जो भी सच्चे मन से जपते
जग में कार्य अंसम्भव करते
सरिता – सागर सा मिल मां से
बदल जायेगी जीवन काया।
दया करो महागौरी मां॥
शिव को पाना हुई समस्या
की पार्वती ने घोर तपस्या
गौर वर्ण हुआ जब काला
शिव ने गंगा जल फिर डाला
हुई चारू चन्द्र मय आभा
नाम महागौरी कहलाया।
कर त्रिशूल शिव शस्त्र उठाये
डिमिक डिमिक डिम डमरू बजायें
बैल सवार अभय कर दानी
निज भक्तों हित मां वरदानी
कुन्द पुष्प-सा वस्त्र भूषण
मां का रूप जगत को भाया।
अष्ट शक्ति मां चतुर्भुजा मां
शान्त मना क्या रूप सजा मां
जो भी सच्चे मन से जपते
जग में कार्य अंसम्भव करते
सरिता – सागर सा मिल मां से
बदल जायेगी जीवन काया।
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