गुरुवार, 30 अक्तूबर 2008

सिद्धिदात्री

जै जै सिद्धिदात्री जय माँ
सिद्धि अष्टदश दात्री जय मां

शंख, चक्र, कर कमल सुहावन
गदा पद्म आसन मन भावन
सुर नर मुनि दानव सब पूजें
आपस में तेरे बल जूझे
बने अर्द्धनारीश्वर शिव जी
पाकर कृपा तुम्हारी जय मां।

सच्चे मन से जिसने ठाना
कठिन नहीं है मां को पाना
मां की कृपा भक्त पर घूमें
उसका चरण सफलता चूमें
नवीं शक्ति दुर्गामाता की
सिंह सवार विधात्री जय मां।

जो नित मां की करे उपासना
समझो पूरी सकल कामना
पल भर मां से लगन लगाये
सुख उसके घर दौड़ के आये
है प्रसन्न होने की देरी
करूणा सिन्धु दात्री जय मां।

महागौरी

कलियुग काल रूप में आया।
दया करो महागौरी मां॥

शिव को पाना हुई समस्या
की पार्वती ने घोर तपस्या
गौर वर्ण हुआ जब काला
शिव ने गंगा जल फिर डाला
हुई चारू चन्द्र मय आभा
नाम महागौरी कहलाया।

कर त्रिशूल शिव शस्त्र उठाये
डिमिक डिमिक डिम डमरू बजायें
बैल सवार अभय कर दानी
निज भक्तों हित मां वरदानी

कुन्द पुष्प-सा वस्त्र भूषण
मां का रूप जगत को भाया।

अष्ट शक्ति मां चतुर्भुजा मां
शान्त मना क्या रूप सजा मां
जो भी सच्चे मन से जपते
जग में कार्य अंसम्भव करते
सरिता – सागर सा मिल मां से
बदल जायेगी जीवन काया।

कात्यानी

चतुर्भुजी कात्यायनी जै जै।
षष्ठी रूप भवानी जै जै,
जय हो जय कात्यायनी जै जै॥
ऋषि की मां से लगन लगी जब
परा अम्बा की शक्ति जगी तब
कन्या बनी भगवती माता
बने कात्यायन जी फिर ताता

तीन देव अंश अवतारी
महिषासुर संहारनी जै जै।

एक हाथ में कमल सुसाजे
दूजे में तलवार विराजे
तीजा हाथ अभय का दानी
चौथा भक्तों हित वरदानी
स्वर्ण मुकुट मकराकृत कुंडल
कल्यानी सिंह वाहिनी जै जै।

पति अनुरूप कृष्ण जब सूझा
यमुना तट गोपियों ने पूजा
हम भी तेरे बने पुजारी
सुन ले मैया अरज हमारी

दरस बिना आँखें अब तरसे
ब्रज अधिष्ठात्री ठानी जै जै।

स्कन्दमाता

जै हो जै हो जय हो स्कन्द मैया।
कर दे भक्तों की शक्ति बुलन्द मैया॥
कर में कमल लाल
अंक कार्तिकेय लाल
पद्म आसन कमाल
सिर पे मुकुट विशाल
सुन ले पुकार, आ शेर पे सवार
बिखेर दे दया की सुगन्ध मैया।
चार भुज स्वरूपा
दुर्गा पंच रूपा
नाम जप अनूपा
बने रंक भूपा
शुभ्र वर्ण वाली, श्वेत बसन वाली
भर दे भर दे जगत आनन्द मैया।
हे शक्ति दायिनी
पुष्कल फल दानी
मोक्ष सिद्धि दायिनी
सुख शान्ति दानी
जो भी आया, बिन मांगे पाया
अपने भक्तों की प्यारी पसंद मैया।

कूष्मांडा

जय जय जय कूष्मांडा माता।
जग जननी ब्रह्माण्ड विधाता॥

चक्र, गदा, कमण्डल वाली
धनुष बाण, कमल दल वाली
अमृत कलश जयमाला धारी
सिंह सवार कूष्मांड बलि प्यारी
आदि शक्ति माते जग सर्जक
रोग शक्ति मां मुक्ति प्रदाता।
ऋदि-सिद्धि आरोग्य प्रदानी
आयु, शक्ति, यश, भक्ति दानी
रविमण्डल में रूप विराजे
अंधियारे पे उजाला साजे
आधि व्याधि सब डर के भागे
जो भी शरण तुम्हारी आता !

सकल जगत में रूप तुम्हारा
तुम हो तेज पुंज की धारा
भक्त अचल मन आया द्वारे
कर दे पूरन काज हमारे
तेरी भक्ति की राह चले जो
जग में सब सुख वह पा जाता।

चन्द्रघण्टा

सिहं वाहिनी चारू छटा माँ
तुम दुर्गा की शक्ति तृतीया
हे ! दस भुजी चन्द्रघण्टा मां।

धनुषबाण जपमाल कमंडल
गदा त्रिशूल तलवार कमल
अर्द्ध चन्द्र माथे पर सोहे
भव्य मुकुट भक्ती मन मोहे
सुबरन अंग लाल चूनर में,
पावन रूप सिंगार सजा मां।

चंडध्वनि से दानव डरते
किन्तु भक्त सब निर्भय रहते
तेरा पुजारी पूजा जाता
बिन मांगे यश वैभव पाता
पल में आसन छोड़ के धायी,
भक्तों ने जब नाम रटा मां।

विनती यही अभी दर्शन दे
सदा सजग रहने का मन दे
लोक और परलोक बना दे
भव बाधा से मुक्त करा दे
तेरे दरस बिन रहा न जाये
जिद्दी बालक यहीं डटा मां।

सोमवार, 27 अक्तूबर 2008

ब्रह्मचारिणी

मैया तेरी अनुपम माया
भक्त आज शरण में आया
ब्रह्मचारिणी रूप सुहाया
कर दे अपनी दया का साया

सुन उपदेश नारद मुनिवर का
ज्योतिर्मय लै रूप अनूपा
सहा शीत बरखा अरू धूपा
साक्षात् माँ ब्रह्म स्वरूपा
दुर्गम पथ से चलते जाना
भक्तों को तप मार्ग दिखाया !

दायें हाथ लिए जपमाला
बायां हाथ कमण्डल वाला
मुक्त केश बना छवि आला
धवल बसन में रूप निराला
मनोकामना पूरन करने
अपना तपसी रूप बनाया।

वर्ष हजार फल मूल बिताया
बरस एक सौ साग ही खाया
खुले गगन हर कष्ट उठाया
बेलपत्र खा शिव को मनाया
निर्जल और निराकारी रह
नाम अपर्णा मातु कहाया।

अलख तपस्या देख तुम्हारी
ब्रह्मा बोले मातु हमारी
साक्षात तप सम मनहारी
तुम्हें वरेंगे अब त्रिपुरारी
कठिन व्रती नवरूप अनूठा
मातु नाम फिर उमा धराया।

शैलसुता

चहुँ दिसा गूँजें जैकार मैया,
सज रहा रूप दरबार मैया
कर दो जगत उद्धार मैया
शैल सुता सुन लो पुकार मैया

आओ बैल की सवारी
दांये कर त्रिशूल धारी
बायें कमल पुष्प धारी
माथे मुकुट मनोहारी
सभी की पालनहार मैया !

दक्ष यज्ञ में पति निरादर
किया आप को भस्म जलाकर
जन्मी हिम के आलय आकर
नाम हेमवती कहलाकर
किया गर्व देव संहार मैया !

पतिव्रता शिवशंकर प्यारी
शक्ति सरूपा भक्त पियारी
पार्वती मैना की दुलारी
भक्त आज तुमपे बलिहारी
दया का लगा अम्बार मैया !

गणेश-लक्ष्मी वन्दना

आओ आओ रे ! आओ आओ रे !
आओ रे ! आओ रे ! गणराज
संग माँ लक्ष्मी पियारी।
कर दो मालामाल
जगे दीवाली हमारी॥

ऋद्धी को लाना सिद्धी को लाना,
गणपति मूषक पे तुम आना,
कंगाली सब दूर भगाना,
उल्लू पे सवार माँ आना,

निनान्बे के चक्कर में
पड़ी रे दुनिया सारी।

चाम जाय पर दाम न जाये,
उस पे कृपा सदा बरसाये,
खर्चवाह से दूरी रखती,
कंजूसों की झोली भरती,
सेंसेक्स से रूठी मैया
गिर गये शेयर भारी !

लम्बोदर को मोदक प्यारा,
माँ को मूंजी भक्त पियारा,
सरस्वती सुत आज पुकारे,
गणेश-लक्ष्मी बनो सहारे,

करो नज़र इक बार
कलम का आया पुजारी !

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008

हवा गुदगुदी कर गई...

हवा गुदगुदी कर गई, हँसा आम का बौर।
मौसम के सिर पर सजा, फिर फागुन का मौर

शाखों के दिल पे लगे, पछुआ की हर बात।
जैसे कमसिन उम्र की, चितवन के आघात।।

सूने तरू की बांह में, पहनाए हर बार।
रंग-बिरंगी चूड़ियां, फागुन का मनिहार।।

चैत चाँद की चाँदनी, हर सिगांर के फूल।
नैनों से मोती झरें, सौगन्धो की भूल।

नवल वधू-सी चाँदनी, और विदाई राग।
मौसम के वर को मिला, अंचर धराई फाग।।

जोगन बन के चाँदनी, चाँद का चंग बजाय।
नील-गगन की छांव में, गीत फागुनी गाय।।

अमराई की गोद में, मिट्ठू पर खुजलाय।
कथा होलिका दहन की, मैना उसे सुनाए।।

फटे दूध से हो चले...

फटे दूध से हो चले, आज रक्त सम्बन्ध।
भावों से गढ़ने लगे, नये-नये सम्बन्ध।।

तेग और शमशीर से, ज्यादा तीखी धार।
कान सुने पर दिल सहे, बातों की तलवार।।

झूठे नातों की नज़र, नहीं हुए नीलाम।
किन्तु नेह की हाट में, बिके छदाम-छदाम।।

सदा अकेले देख कर, बोले मेरे लाल।
बड़े-बड़ो की भीड़ में, चले अजनबी चाल।।

ज़हर घोल जरा कूप में, कौन गया निर्बन्ध।
हुआ रक्त से भी अधिक, मुँह बोला सम्बन्ध।।

रे‍‍‍‍! मन क्यों, भटका फिरे, जग में बन कर मूढ़।
अपनी खुशियाँ आप में, ढूंढ़ सके तो ढूंढ़।।

कुछ मत पूछो हाल किसी का...

कुछ मत पूछो हाल किसी का
उलझा हुआ सवाल किसी का।।
बहक न जाना पल भर छू के,
महका हुआ रूमाल किसी का।
खुशफहमी मत कभी पालना,
पा के ज़रा विसाल किसी का।
करवट में ही रात कटेगी,
आये अगर खयाल किसी का।
किसी की साजिश का ये नतीज़ा,
झेले शहर बवाल किसी का।
देख के उंगली उठा रहे सब,
खिला कंवल है ताल किसी का
भोले हो सर पे मढ़ देगी,
दुनिया ये जंजाल किसी का।
शोहरत का हकदार बना है,
किस्मत देख कमाल किसी का