रविवार, 3 अगस्त 2008

अभी गये तुमको...

अभी गये तुमको दो-चार दिन हुए।

लगता है जैसे, हजार दिन हुए।।

 

दिन का रंग उड़ा-उड़ा, शामें घबराई सी,

रातों की तड़पन से, सुबहें मुरझाई-सी,

पूछो न दुःख के, अम्बार दिन हुए।

 

मौसम के खाते मे, खुश्बू का नाम है,

आँखों से ओझल, बस फूलों का ग्राम है,

हँसती बहार के, फरार दिन हुए।

 

चुभती-सी दर्पन में याद की पिनें,

उंगलियों पे कब तक, हम पल-घड़ी गिनें,

दुखिया के मन की, पुकार दिन हुए।

कोई टिप्पणी नहीं: