अभी गये तुमको दो-चार दिन हुए।
लगता है जैसे, हजार दिन हुए।।
दिन का रंग उड़ा-उड़ा, शामें घबराई सी,
रातों की तड़पन से, सुबहें मुरझाई-सी,
पूछो न दुःख के, अम्बार दिन हुए।
मौसम के खाते मे, खुश्बू का नाम है,
आँखों से ओझल, बस फूलों का ग्राम है,
हँसती बहार के, फरार दिन हुए।
चुभती-सी दर्पन में याद की पिनें,
उंगलियों पे कब तक, हम पल-घड़ी गिनें,
दुखिया के मन की, पुकार दिन हुए।
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