उठ भिनसारे खूंटा धाये,
नित चरवाहा ढोर चराये
हँसी बिखेरे टका छदाम
सबके आगे राम-राम।
पीर करेजे की मुँह बाये
पग के छाले सीस नवाये
नैनों के परकोटे में अब
अंजुरी भर-भर सरसों आये
जी का दुखड़ा जेठ का घाम।
सुख की खातिर हाथापाई
दुख उसका मुंहबोला भाई
तोला-माशा रत्ती-रत्ती
उम्र चुकाना पाई-पाई
पेट की रोटी चारोधाम।
चरागाह में आम की छुइयां
बातें करता जैसे टुइयां
सुबह-शाम दोपहरी जीता
सपनों के डाले गलबहियां
लाठी-बंशी आठोयाम।
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