है कामयाब इस दुनिया में, जो सबसे बड़ा भौकाली हो।
हरदम लाखों की बात करे, चाहे जेब भले ही खाली हो।।
न करना तो सीखा ही नहीं, और लम्बी फेंकने मे शातिर,
खाली बातो से गल्ल करें, हो अपने मतलब में माहिर,
फितरत से तोताचश्मी हो, चेहरे पे हंसी की लाली हो।
चमक-दमक वालों खातिर, वो नजरें बिछाएं रहता है,
बेसिर-पैर की बातों मे, औरों को फंसाए फिरता है,
पडें काम तो हाँजी हाँ, पीछे होठों पर गाली हो
अरसा बीते आजाद हुए, पर वही गरीबी बेकारी,
बड़बोले नेता की आदत, वादों के पीछे मक्कारी,
मंत्री बन उसका काम करें, पहुंचाये जो भारी डाली हो।
जो जहाँ वहीं वह लूट रहा, माफिया राहेबर या दफ्तर,
अब जात-पांत के चक्कर में, जनता की हालत है पंचर,
फिर रामराज्य कैसे आये, जब संसद की रंगत काली हो।
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